भारत में कोर्ट मैरिज करने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके लिए आवश्यक दस्तावेज़ों की सही तैयारी आवश्यक है। सभी आवश्यक दस्तावेज़ों को पहले से तैयार रखने से प्रक्रिया सुगम हो जाती है और अनावश्यक विलंब से बचा जा सकता है।
1. आयु प्रमाण पत्र:
कानूनी रूप से, पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए। आयु प्रमाण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों में से किसी एक की आवश्यकता होती है:
- जन्म प्रमाण पत्र
- दसवीं कक्षा की मार्कशीट
- पासपोर्ट
- आधार कार्ड
2. पता प्रमाण पत्र:
निम्नलिखित दस्तावेज़ों में से किसी एक का होना आवश्यक है:
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- पासपोर्ट
- बिजली या पानी का बिल
- बैंक स्टेटमेंट या पासबुक
3. पहचान प्रमाण पत्र:
पहचान सत्यापन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों में से किसी एक की आवश्यकता होती है:
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
4. पासपोर्ट आकार के फोटोग्राफ:
दोनों पक्षों के हाल ही के पासपोर्ट आकार के चार-चार फोटोग्राफ आवश्यक हैं।
5. वैवाहिक स्थिति का शपथ पत्र:
दोनों पक्षों को एक शपथ पत्र प्रस्तुत करना होता है, जिसमें उनकी वैवाहिक स्थिति (अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा/विधुर) की घोषणा होती है।
6. तलाक की डिक्री या मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि लागू हो):
- तलाकशुदा होने पर: तलाक की प्रमाणित डिक्री।
- विधवा/विधुर होने पर: पूर्व पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
7. गवाहों के दस्तावेज़:
कोर्ट मैरिज के लिए तीन गवाहों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक गवाह के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ आवश्यक हैं:
- पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, आदि)
- पासपोर्ट आकार का फोटोग्राफ
8. आवेदन पत्र और शुल्क:
- आवेदन पत्र: विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय से प्राप्त और सही तरीके से भरा हुआ।
- शुल्क: प्रत्येक राज्य में अलग-अलग हो सकता है; स्थानीय विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में जानकारी प्राप्त करें।
महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बातें:
- नोटरीकृत दस्तावेज़: कई दस्तावेज़ों को नोटरी द्वारा सत्यापित करना आवश्यक हो सकता है।
- मूल और प्रतियां: सभी दस्तावेज़ों के मूल और उनकी सत्यापित प्रतियां साथ रखें।
- क्षेत्रीय भिन्नताएं: दस्तावेज़ों की आवश्यकताएं राज्य या जिले के अनुसार भिन्न हो सकती हैं; स्थानीय विवाह रजिस्ट्रार या वकील से परामर्श करें।
सभी आवश्यक दस्तावेज़ों को पहले से तैयार रखने से कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया में आसानी होगी और अनावश्यक देरी से बचा जा सकेगा।
